शाम के नाम लिखा, हैं कुछ शब्द मैंनेसोचता हूं तुम्हें सुनाऊँ कैसे, शाम हो चली है तुमसे कुछ कहने की ख्वाहिश रखता हूं, सोचता हूं तुम्हें बताऊँ कैसे, शाम चलो कहीं बैठते हैं तुमसे कुछ शब्द कहने थे मुझे तुम्हें सुनाऊं कैसेकाफी सोचा मैंने की कह दु तुमसे अपनी दिल की बातपर सोचता हू तुमसे उन शब्दों को बताऊँ कैसेडर लगता है तुमको खोने से, अपने आप को समझाने मे ही सारा वक़्त निकल जाता है, ये बात तुमको बताऊँ कैसे…शाम के नाम लिखा है कुछ शब्द मैंनेतुमसे बताऊँ कैसे…